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राधा-कृष्ण का नृत्य देख भीगी आंखें, गाजे-बाजे से निकली शोभायात्रा

संस्कार कॉलोनी में महामण्डलेश्वर नागेंद्र ब्रह्मचारी जी की भागवत कथा का आयोजन

छिंदवाड़ा।

शोभायात्रा में नृत्य करते भक्त

चिलचिलाती धूप, तन से बहता पसीना, सैकड़ों शीर्ष, शीर्ष पर सजे माटी के पीले घड़े, एक रंग पीताम्बर, अधरों पर एक नाम राधे-राधे, रथ पर बैठे भगवा वस्त्र पहने सन्यासी महात्मा और नग्न पैरों से माटी पर पड़ती राधा-रानी व कृष्ण भगवान की थाप, अधरों पर खेलती मंद-मंद मुस्कान, जिस किसी ने इस दृश्य को देखा उसका मन प्रफुल्लित हो उठा। भक्ति का यह अनूठा समागम छिंदवाड़ा के संस्कार धाम कॉलोनी में 9 मार्च को देखने मिला। यहां क्षेत्र का हर नागरिक भक्ति के सागर में डुबकी लगाते नज़र आ रहा था। सूरज का तेज ताप भी इस उत्साह में बाधा नहीं डाल पाया। मौका था यहां आयोजित हो रही श्रीमद् भागवत कथा के शुभांरभ पर निकाली गई शोभायात्रा का। इसे सोमनाथ संस्कार धाम मंदिर समिति की द्वारा आयोजित किया। कथा के मुख्य यजमान सुषमा दुबे व चंद्रशेखर दुबे रहे। वहीं, कथा वाचन श्री श्री 1008 योगीराज महामण्डलेश्वर नागेंद्र ब्रह्मचारी जी ने किया। कथा 15 मार्च तक आयोजित की जाएगी।

शहर के विभिन्न क्षेत्रों से होकर निकली शोभायात्रा में हर पड़ाव पर श्रद्धालु जुड़ते नज़र आए। पूरे मार्ग में लोग संगीत पर सर पर घड़े रख नृत्य करते नजर आए। वहीं, एक क्षण ऐसा भी जब राधा-कृष्ण का नृत्य देख कई लोगों के आंखों से आंसू बहने लगे। यह अश्रु दुख के नहीं, हर्ष के थे। हर कोई भाव-विभोर था। पूरी यात्रा में राधा-कृष्ण कई स्थानों पर नृत्य किया। इस दौरान स्थानीय लोगों भक्तों का स्वागत करने के साथ राधा-कृष्ण का पूजन भी किया। करीब दो घंटे चली इस यात्रा में बच्चों से लेकर बड़े तक शामिल रहे। यात्रा में 101 कलश रखे गए।

‘भ’ से भक्ति और ‘त’ से तप

शोभायात्रा के बाद महाराज जी ने व्यास पीठ से भागवत कथा का महत्व बताया। साथ ही भागवत पुराण की रचना कैसे हुई इसका सारगर्भित परिचय दिया। उन्होंने कहा कि भागवत सिर्फ एक कथा नहीं है। इसके मर्म का समझा जाए तो गृहस्थ व्यक्ति भी ईश्वर की भक्ति और संयास को समझ सकता है। उन्होंने भक्तों का भागवत भगवान का अर्थ समझाया। श्री महाराज जी कहा कि भागवत में ‘भ’ का अर्थ है भक्ति, ‘ग’का गमन, ‘व’ का वैराग्य और ‘त’ से तप। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति सहज रूप में भागवत कथा का श्रवण करता है या इसका आयोजन करता है, वह उन सभी तत्वों को प्राप्त करता है, जिसे प्राप्त करने के लिए साधू तक तप करते हैं। उन्होंने अपने संक्षिप्त व्याख्यान में भागवत कथा के महत्व पर प्रकाश डाला।

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