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शिक्षक का प्रतिबिंब होते हैं विद्यार्थी

चौरई में शिक्षक सम्मान समारोह संपन्न

चौरई : शिक्षण कार्य महज आजीविका चलाने का माध्यम नहीं है। यह एक जटिल और जिम्मेदारी भरा कार्य है। बिना शिक्षक के राष्ट्र निर्माण की कल्पना अधूरी है। शिक्षक देश के उस तत्व को सशक्त बनाता है, जो एक राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है। वो तत्व जिसे हम युवा कहते हैं। प्रत्येक युवा शिक्षक का प्रतिबिंब होता है न कि दर्पण। कुछ इस तरह के चिंतक विचार माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय और भारतीय जनसंचार संस्थान के पूर्व महानिदेशक माननीय संजय द्विवेदी ने छिंदवाड़ा स्थित चौरई के शिक्षक सम्मान समारोह में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में कहे। वहीं, कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संघ चालक भजनलाल चोपड़े ने की। कार्यक्रम का आयोजन क्षेत्र के अन्नपूर्णा लॉन में शैलेंद्र रघुवंशी द्वारा किया गया। समारोह का लक्ष्य शिक्षक सम्मान के साथ क्षेत्र को युवाओं को नवाचार और देश प्रेम के लिए प्रेरित करना था। गौरतलब है कि शैलेंद्र गत सात वर्षों से राजनीतिक और सामाजिक कार्यक्रमों में नवाचार के लिए इस तरह के आयोजन करते आ रहे है।
दर्पण और प्रतिबिंब में सूत का अंतर
प्रो.द्विवेदी ने कहा कि प्रतिबिंब में समय अनुरूप परिवर्तन की क्षमता होती है। वह चलायमान है, इसी खूबी की वजह वह इतिहास लिख पाता है, जिससे भविष्य का मार्ग प्रशस्त होता है। यदि वह दर्पण होता, तो जड़ होता है, एकदम स्थिर। भारत का इतिहास ऐसे कई प्रतिबिंबों से पटा हुआ है। जिनके कार्यों ने भारत का मस्तक पूरे भू-मण्डल में हमेशा ऊंचा रखा है। उन्होंने कहा कि दुनिया तेजी से भौतिकवाद की ओर भाग रही है। ऐसे में हम शिक्षक का दायित्व है कि वे विद्यार्थियों को भारतीय जीवन मूल्यों और नैतिक शिक्षा से शिक्षित करें।
शिक्षा नीति में भारतीय मूल्यों का हो समायोजन
नई शिक्षा नीति में भारतीय जीवन मूल्यों को समाहित करने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता को शामिल किया गया है, जिससे युवा पीढ़ी जागरूक होकर सामाजिक परिवर्तन में अपना योगदान दे सके । शिक्षक इस नई शिक्षा नीति के अनुरूप भी विद्यार्थियों को मार्गदर्शन दें। उन्होंने कहा कि शिक्षा के व्यवसायीकरण के स्थान पर जीवन मूल्यों पर आधारित शिक्षा को महत्व दिया जाना चाहिये, जिससे विद्यार्थी अपने जीवन में सफल होकर नये समाज और देश के निर्माण में अपना योगदान दे सके। साथ ही कहा कि विद्यार्थियों को मातृभाषा में शिक्षा दी जाना चाहिये। मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य बन गया है जो चिकित्सा और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में विद्यार्थियों को अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी में शिक्षा दे रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में जीवन मूल्यों, नैतिक शिक्षा, मातृभूमि व मातृभाषा के प्रति स्नेह और आचार-विचारों का स्थान पहले से रहा है तथा विदेशों से शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी भारतीय व्यक्ति न केवल विदेशों में बल्कि भारत में भी अपनी संस्कृति का परिचय दे रहे है । यही वजह है कि विदेशों में भारत और भारतीयों का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है।
शिक्षकों का किया सम्मान
कार्यक्रम में जिला पंचायत छिन्दवाड़ा के पूर्व उपाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक शैलेन्द्र रघुवंशी ने अतिथियों का स्वागत करते हुये स्वागत उद्बबोधन दिया। उन्होंने कहा कि गुरुओं की प्रेरणा से वह इस तरह का आयोजन करा पा रहे हैं। कार्यक्रम में सभी शिक्षकों और पत्रकारों को स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
अतिथियों का मिला सानिध्य
इस दौरान पूर्व विधायक गंभीर सिंह चौधरी विधानसभा प्रभारी लखन वर्मा नगर पंचायत चांद अध्यक्ष  दानसिंह ठाकुर  नगर पंचायत बिछुआ अध्यक्ष  रामचंद्र बोबड़े  नगर पंचायत बिछुआ की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती दीपिका चोपड़े  एवं वरिष्ठ समाजसेवी सर्वश्री अजब सिंह लोधी जप बिछुआ के उपाध्यक्ष  निरंकुश नागरे जिप सदस्य ऋषि वर्मा मंडल अधक्ष जितेंद्र चौरे कामेंद्र ठाकुर वरिष्ठ विजेंद्र ठाकुर  वीरेंद्र पटेल जी प्रेम पटेल  एच एन शर्मा वरिष्ठ शिक्षक शंकर लाल शर्मा  विशेष अतिथि के रूप में साथ ही बड़ी संख्या में शिक्षक बंधु/भगिनी एवम् कार्यकर्ता बंधु पत्रकार साथी उपस्थित रहे ।
शिक्षक सम्मान समारोह में कार्यक्रम का आकर्षण चौरई नगर की उत्कृष्ट विद्यालय के पूर्व छात्रों की संगीत टोली के बनाया तो वही मंच संचालन कर रहे  के एन गौतम ने अपनी पंक्तियों से सभी का मन मोहा है।
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